किशोरावस्था से आप क्या समझते है What do you think of adolescence in hindi

What do you think of adolescence

किशोरावस्था से आप क्या समझते है

What do you think of adolescence

किशोरावस्थामें आमतौर पर 13 और 19 वर्ष के बीच के वर्षों का वर्णन किया जाता है और इसे बचपन से वयस्कता तक संक्रमणकालीन अवस्था माना जा सकता है। हालांकि, किशोरावस्था में होने वाले शारीरिक और मनोवैज्ञानिक परिवर्तन पहले से शुरू हो सकते हैं, पूर्व या “ट्वीन” वर्षों (उम्र 12 से 9 वर्ष) के दौरान। किशोरावस्था भटकाव और खोज दोनों का समय हो सकता है। यह संक्रमणकालीन अवधि स्वतंत्रता और आत्म-पहचान के मुद्दों को सामने ला सकती है; कई किशोरों और उनके साथियों ने स्कूल, कामुकता, ड्रग्स और शराब और सामाजिक जीवन के बारे में कठिन विकल्पों का सामना किया। युवावस्था में किशोर की यात्रा के दौरान कुछ समय के लिए सहकर्मी समूह, रोमांटिक रुचियां और उपस्थिति स्वाभाविक रूप से बढ़ जाती है।

लिंग एवं जेण्डर की अवधारणा स्पष्ट करते हुए दोनों में अन्तर स्पष्ट करें । (Explain the concept of sex and gender and make a difference.)

किशोरावस्था जीवन का सन्धिकाल की अवस्था है । इस अवस्था में किशोरी और किशोरों में काम की भावना का विकास बहुत तीव्र गति से होता है वह एक दुसरे के प्रति आकर्षति होते है । इस अवस्था उनके जीवन काल का स्वर्ण युग कहा जाता है क्योंकि वे अपने इस अवस्था में एक दुसरे से अच्छा दिखने के लिए सजते सँवरते है जिससे विपरीत लिंग का आकर्षण उनके प्रति बढ़े ।

किशोरावस्था में बालक का अपने ऊपर कोई नियंत्रण नहीं होता है वे हमेशा किसी भी कार्य को पूरा करने के तीव्र इच्छा जताते है । अगर ये इच्छा उनकी पूरी नहीं होती है तो वह गुस्से से भर जाते है और पलायनवादी बन जाते है । इसी भावनाओं में बहकर आत्महत्या का भाव इस अवस्था में साफ दिखाई पड़ता है ।

किशोरावस्था में सामाजिकरण

किशोरावस्था में सामाजिकरण की प्रक्रिया बहुत ही जटिल होती है । वे समाज में बनाए नियमों को नहीं मानते है । वे हर कार्य को अपने ढंग से करना चाहते हैं । किशोरावस्था में बच्चे सही और गलत की पहचान नहीं करते है उनको जिस भी कार्य में रूचि होती है वे वैसा करके अपने आप में खुश रहते हैं । वे अपने समकक्ष मित्रों एवं समूहों के साथ अच्छा समायोजन करते हैं ।वे लोग अपने समकक्ष मित्रों की हर बात मानने को तैयार हो जाते हैं और उन्हीं के अनुसार अपना कार्य करते रहते हैं । जब इन्हें किसी अच्छे बुरे कार्य या बातों का एहसास होता है कि वे अपने व्यवहार में परिवर्तन लाने लगते हैं । उनमे धीरे – धीरे समाजिक सूझ बुझ का विकास होने लगता है । उनके आत्मविश्वास में भी परिवर्तन होने लगता है ।

किशोरावस्था में बच्चे अपने विषम लिंग के प्रति भावनात्मक रूप से आकर्षित होते हैं । वे दुनिया के अच्छी और बुराई के बारे में नहीं सोचते हैं । इस उम्र में बच्चे ज्यादा बिगड़ते हैं । इस उम्र में बच्चों को संभालना बहुत कठिन होता है लेकिन समाज के दबाव के कारण वे अपने बुद्धि और विकास से अपने आप को संभाल लेते हैं । अगर कोई बड़ा उम्र का व्यक्ति उन्हें समझाता है तो उनकी बातों को नजरअंदाज कर देते हैं ।

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यह अपने मित्रों का चयन अपने नवीन मापदंड के आधार पर करते हैं चाहे वे बालक को यह बालिकाएँ दोनों अपने संग विचार वाले मित्रों के साथ दोस्ती रखना पसंद करते हैं ताकि वे अपने किसी भी राज्य को उनके सामने रख सके अगर वह अपने मित्रों में उन मापदंडों को नहीं पाते तो वे उनसे मित्रता छोड़ देते हैं ।

विचारक जोजेफ का मानना है कि “अधिकांश किशोर ऐसे लोगों को मित्र बनाना चाहते हैं जिन पर विश्वास किया जा सके, जिनसे खुले मन से अपनी बात की जा सके ।”