राज्य प्रशासन का संवैधानिक रुपरेखा (भाग -1)

राज्य प्रशासन का संवैधानिक रुपरेखा

  1. विधानमंडल के संगठन, गठन, कार्यकाल इत्यादि के बारे में संविधान के किस भाग में उल्लेख है? – भाग 6 में
    • संविधान के छठें भाग में अनुच्छेद 168 से 212 तक राज्य विधानमंडल की संगठन, गठन, कार्यकाल अधिकारीयों, प्रक्रियाओं, विशेषाधिकार तथा शक्तियों के बारे में बताया गया है।
  2. भारत के कितने राज्यों में द्विसदनीय विधानमंडल है? – सात
    • वर्तमान में केवल सात राज्य – कर्नाटक, उतर प्रदेश, बिहार, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश व जम्मू-कश्मीर में विधानपरिषद है।
  3. विधानपरिषद में सदस्यों का निर्वाचन
    • विधानपरिषद में 1/3 सदस्य स्थानीय, नगरपालिकाओं, जिला बोर्ड आदि से बने निर्वाचन मंडल द्वारा चुने जाते है।
    • विधानपरिषद के 1/3 सदस्य विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों द्वारा चुने जाँएगे।
    • 1/12 सदस्य राज्य में निवास करने वाले विश्वविद्यालय स्नातको से निर्वाचित होगे, जो कम-से-कम 3 वर्ष पहले स्नातक कर चुके हो।
    • 1/12 सदस्य उन अध्यापकों द्वारा चुने जाँएगे, जो राज्य के हायर सेकेंडरी स्कूलों या उच्च शिक्षा संस्थाओं में कम-से-कम 3 वर्ष से पढ़ा रहे हो।
    • 1/6 सदस्य राज्यपाल द्वारा मनोनीत होगे, जो राज्य के कला, साहित्य, विज्ञान, समाजसेवा तथा सहकारिता से जुड़े हो।
    • विधानपरिषद के लिए सदस्यों की योग्यता

राज्य प्रशासन का संवैधानिक रुपरेखा

  1. अनुच्छेद 173 के अनुसार विधापरिषद के सदस्यों के लिए निम्नलिखित योग्यताएँ निर्धारित की गई है।
    • वह भारत का नागरिक हो।
    • 30 वर्ष की आयु पूरी कर चूका हो।
    • संसद द्वारा निर्धारित एनी योग्यताएँ भी होनी चाहिए।
    • किसी न्यायालय द्वारा पागल या दिवालिया घोषित न किया गया हो।
    • राज्य विधानमंडल का सदस्य होने के लिए उसका नाम राज्य के निर्वाचन नामावली में होना चाहिए।
  2. विधानपरिषद के सदस्यों का कार्यकाल कितने वर्षो का होता है – 6 वर्ष
    • विधानपरिषद एक स्थायी सदन है।इसके सदस्य 6 वर्ष के लिए चुने जाते है। प्रत्येक 2 वर्ष पश्चात् 1/3 सदस्य अवकाश प्राप्त कर लेते है और उनके स्थान पर नए सदस्य चुने जाते है।

मुख्य कार्यकारी के कार्य

  1. राज्य विधानसभा की न्यूनतम और अधिकतम सदस्य संख्या क्रमश: हो सकती है – न्यूनतम 60, अधिकतम 500
  2. राज्यों में सदस्यों की संख्या 30 तक तय की गई है – अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम एवं गोवा – 30 सदस्य और मिजोरम और नागालैण्ड – 40 एवं 60 सदस्य
  3. धन विधेयक एक बारे में
    • धन विधेयक केवल विधासभा में प्रस्तुत किया जा सकता है।
    • कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं, इसका निर्णय विधानसभा अध्यक्ष करता है।
    • धन विधेयक को राज्यपाल पुनर्विचार के लिए नहीं लौटा सकता है।
    • धन विधेयक को विधानपरिषद यदि बिल को 14 दिन तक पारित नहीं करता है तो विधेयक को दोनों सदनों द्वारा पारित मान लिया जाता है और राज्यपाल की स्वीकृति के लिए भेज दिया जाता है।
  4. राज्य के प्रशासन का विधित: अध्यक्ष होता है – राज्य का राज्यपाल
    • संविधान के छठे भाग में अनुच्छेद 153 से 167 तक राज्य कार्यपालिका के बारे में उपबन्ध किया गया है।

10. अनुच्छेद 154 में उल्लेख है कि राज्यपाल अपने कार्यकारी अधिकारों का प्रयोग सीधे अथवा अपने अधिनस्थ अधिकारियों के माध्यम से कर सकता है। यहां ‘अधिनस्थ’ शब्द में कौन शामिल है – सभी मंत्री और मुख्यमंत्री

11. भारत के संविधान का अनुच्छेद 153 प्रत्येक राज्य के लिए राज्यपाल से संबंध है। कौन-से संशोधन अधिनियम द्वारा यह प्रावधान है कि एक ही व्यक्ति एक से अधिक राज्यों का राज्यपाल नियुक्त किया जा सकता है? – 7 वा संविधान संशोधन अधिनियम 1956

12. राज्यपाल का कार्य

  • राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्यों की नियुक्ति करता है
  • विधानसभा को भंग करना
  • राज्य के मुख्यमंत्री की नियुक्ति

13. राज्य शासन में कार्यपालिकाकी शक्ति किसमें निहित है – राज्यपाल में

14. राज्यपाल की सबसे महत्वपूर्ण विधायी शक्ति – राज्य विधान मंडल में सदस्यों को मनोनीत करना

15. राज्यपाल अध्यादेश कब जारी कर सकता है

  • जब एक सदन सत्र में ना हो
  • जब दोनों सदन सत्र में ना हो
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16. राज्यपाल केअध्यादेशजारी करने की शक्ति का असाधारण रूप से (विशेष) प्रयोग किया गया था–बिहार में वर्ष 1965 में विनियोजन विधेयक हेतु

17. राज्य विधानसभा में धन विधेयक किसकी अनुशंसा से प्रस्तुत किया जाता है – राज्यपाल

18. राज्यपाल के संबंध में संवैधानिक स्थिति है – राज्यपाल, राज्य के मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करता है अनुच्छेद 163 के अनुसार

19. राज्यपाल नियुक्त कर सकता है

  • मुख्यमंत्री को अनुच्छेद 164 के अनुसार
  • राज्यलोक सेवा आयोग के सदस्य को
  • एडवोकेट जनरल को

20. राज्यपाल के अभिभाषण कौन तैयार करता है – मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद