विकास प्रशासन और प्रशासनिक विकास में सम्बन्ध

विकास प्रशासन और प्रशासनिक विकास

विकास प्रशासन और प्रशासनिक विकास का आपस में घनिष्ठ सम्बन्ध है। कभी-कभी लोग दोनों का प्रयोग एक ही अर्थ में करते हैं । वस्तुतः इन दोनों में सूक्ष्म अन्तर है । विकास प्रशासन का क्षेत्र अधिक व्यापक है, क्योंकि विकास प्रशासन का सम्बन्ध देश के समस्त आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, औद्योगिक आदि क्षेत्रों में विकास करना तथा आधुनिक बनाने की जिम्मेदारी होती है। इसमें ग्रामीण एवं शहरी विकास भी सम्मिलित होता है। जबकि प्रशासनिक विकास का क्षेत्र संकुचित और सीमित होता है, क्योंकि इसमें केवल प्रशासनिक संगठनों कीसंरचनाओं और प्रक्रियाओं को विकसित किया जाता है। इसका सम्बन्ध केवल प्रशासन को विकसित करना होता है। इस प्रकार प्रशासन के लक्ष्यों को प्राप्त करने में प्रशासनिक विकास उसी प्रकार मदद करता है जिस प्रकार विदेशी नीति के लक्ष्यों को प्राप्त करने में राजनय सहायता करता है।

यदि हम दोनों के सम्बन्धों पर विचार करें तो विदित होता है कि “विकास प्रशासन दो परस्पर सम्बद्ध अर्थों में प्रयोग होता है। प्रथम, यह विकास कार्यक्रमों के प्रशासन तथा बड़े पैमाने के संगठनों विशेषतया सरकारी संगठनों द्वारा प्रयोग की गयी विधियों एवं उनके वैकासिक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए रचित नीतियों और योजनाओं के कार्यान्वयन का उल्लेख करता है; दूसरे, इसमें प्रशासनिक क्षमताओं को मजबूत करने का भाव सम्मिलित होता है। ये दोनों पक्ष, अर्थात् विकास का प्रशासन और प्रशासन का विकास, विकास प्रशासन की अधिकांश परिभाषाओं में संयुक्त है। “

लोक प्रशासन से आप क्या  समझते है?

एडवर्ड वीडनर के अनुसार विकास प्रशासन प्रगतिशील राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक लक्ष्यों की उपलब्धि की ओर संगठन के मार्ग दर्शन की प्रक्रिया का रूप लेता है। ये विभिन्न लक्ष्य विकसित रूप से निश्चित किये गये होते हैं। इसी प्रकार के विचार अबबूवा, बी. एस. खन्ना और हीन बीन ली ने भी व्यक्त किये हैं। विकास प्रशासन की इन अधिकांश परिभाषाओं का मुख्य बल एक ‘कार्योन्मुख’ एवं ‘लक्ष्योन्मुख’ प्रशासनिक प्रणाली रहा है। रिग्स ने भी प्रशासनिक विकास को बढ़ती हुई प्रभावशीलता का प्रतिमान माना है। वीडनर ने कहा है कि विकास प्रशासन मुख्य रूप से एक कार्योन्मुख एवं लक्ष्योन्मुख प्रशासनिक प्रणाली पर जोर देता है । वस्तुतः इन कार्यों को अन्जाम देने में प्रशासनिक विकास मददगार साबित होता है। विकास प्रशासन के विद्यार्थियों ने स्वीकार किया है कि विकास का प्रशासन और प्रशासन का विकास कार्यात्मक रूप से एक-दूसरे से सम्बद्ध है। रिग्स के अनुसार विकास प्रशासन के इन दोनों पक्षों की परस्पर सम्बद्धता के कारण कार्य के समान भाव विद्यमान हैं। सामान्य रूप से प्रशासन में महत्वपूर्ण परिवर्तन पर्यावरण में परिवर्तन के बिना नहीं लाये जा सकते हैं और पर्यावरण स्वयं तक तब परिवर्तित नहीं हो सकता जब तक कि विकास कार्यक्रमों के प्रशासन को मजबूत नहीं किया जाता । इस प्रकार विकास के अध्ययन में सरकार की क्षमता एक महत्वपूर्ण परिवर्तन (Variable) है। सामान्य रूप से, विकास प्रशासन पर किये जाने वाले अनुसन्धान में प्रशासनिक प्रणाली और उसमें होने वाले परिवर्तनों को स्वतन्त्र परिवृत्यों के रूप में विचारित किया जाता है, जबकि विकास के लक्ष्यों को आश्रित परिवृत्यों के रूप में देखा जाता है ।

विकास सम्बन्धी लक्ष्यों को प्रभावी ढंग से प्राप्ति के लिए प्रशासनिक क्षमता में वृद्धि आवश्यक है और प्रशासनिक क्षमता में यह वृद्धि योजनाबद्ध विकास के विचार से जुड़ी है। विकास को हम नियोजन, नीति कार्यक्रमों, विभिन्न प्रायोजनाओं के सूत्रपात और उनके कार्यान्वयन से अलग करके नहीं देख सकते। दिशात्मक परिवर्तन विकास प्रशासन का केन्द्रीय विषय है। बी. ए. पनदीकर ने विकास प्रशासन को योजनाबद्ध परिवर्तन के प्रशासन के रूप में देखा है। फिर भी, यह आवश्यक नहीं है कि समस्त विकास प्रशासन नियोजित हो अथवा सभी आयोजक वैकासिक हों।

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वाल्डो के अनुसार विकास के आसपास पृथक समझे जाने वाले अनेक विचार, गतिविधियों और अध्ययन पद्धतियाँ एक साथ एकत्रित हो गयी हैं, फिर भी इतना निश्चित है कि विकास का प्रशासन की संरचना तथा क्रियाविधियों पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। प्रशासन वेबेरियन ‘आदर्श पुकार’ की तुलना में बहुत कुछ बदल जाता है। ऐसा प्रशासन विकसित होकर भी ‘आदर्श प्रकार के स्वरूप को प्राप्त नहीं करता है विकास प्रशासन को नैतिक से विकासात्मक बना देता है। ऐसा प्रशासन सामाजिक, आर्थिक, अभिजन द्वारा प्रभावित होने के कारण राजनैतिक विचारधारा से अभिप्रेरित हो जाता है। प्रशासन की संरचना, क्रियाविधि, परम्पराएँ, भर्ती, नीतियाँ आदि सभी उन्हीं से अनुप्रमाणित हो जाती हैं। उस पर सभी क्षेत्रों में निर्धारित लक्ष्यों एवं कार्यक्रमों का व्यापक प्रभाव पड़ता है ।

विकास प्रशासन प्रशासनिक विकास को एक भीतरी प्रक्रिया के रूप में स्वतः मानकर चलता है। विकास प्रशासन में विकास लक्ष्यों को इतनी अधिक महत्ता प्रदान की जाती है कि कभी-कभी सब यह मान बैठते हैं कि लक्ष्यों, योजनाओं तथा कार्यक्रमों के सम्पर्क मात्र से ही नौकरशाही विकासात्मक प्रशासन बन जायेगी अथवा प्रशासनिक विकास को प्राप्त कर लेगी। सक्रांतिकालीन समाजों के प्रायः सभी नागरिक, नेता एवं शासक इसी गलत धारणा से ग्रसित होते हैं। प्रशासक भी इसी भ्रान्ति से अछूते नहीं रहते हैं। भारतीय सन्दर्भ में विकास प्रशासन का अर्थ मानवीय जीवन के गुणों में रूपान्तरण हेतु विकासात्मक कार्यक्रमों का प्रशासन ही नहीं है, बल्कि उसका उद्देश्य उस ढंग को बताना है जिसके द्वारा नियोजित विकास या परिवर्तन को प्रभावित है। इससे स्पष्ट है कि विकास प्रशासन के अन्तर्गत स्वतः प्रशासनिक विकास को सम्मिलित नहीं करना चाहिए, क्योंकि उसका उतना ही अर्थ होता है कि वह विकास से सम्बद्ध प्रशासन है। ऐसा विकास प्रशासन अविकसित परम्परागत अथवा रूढ़िगत नौकरशाही द्वारा भी संचालित किया जा सकता है, भले ही उसे ‘विकास प्रशासन’ जैसे नाम से सम्बोधित किया जाता रहे।

भारत में ब्रिटिश प्रशासन (British administration in India)

विकास प्रशासन व प्रशासनिक विकास में अन्तर

विकास प्रशासन व प्रशासनिक विकास के अन्तर को स्पष्ट करते हुए कहा जा सकता है कि विकासात्मक प्रशासन की प्रकृति जनकल्याणकारी, जनसहयोगी तथा कार्योन्मुखी होती है । परन्तु प्रशासनिक विकास की प्रकृति प्रशासनिक सुधारों और विकासों की होती है। प्रशासनिक विकास का सीधा सम्पर्क जन सहयोग तथा जन-कल्याण से नहीं है। यह उपलब्ध साधनों के प्रयोग में बढ़ती हुई प्रभावशीलता का प्रतिमान है। विकास प्रशासन का महत्व सम्पूर्ण जीवन तथा समस्त देश के लिए होता है, क्योंकि यह जनता से प्रत्यक्ष रूप से सम्बन्धित है, जबकि दूसरी ओर, प्रशासनिक विकास का महत्व प्रशासनिक व्यवस्था के लिए होता है, क्योंकि इसका प्रत्यक्ष सम्बन्ध प्रशासनिक तन्त्र के विकास और सुधार से है ।

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सर्वविदित है कि प्रशासनिक विकास निरन्तर चलने वाली गतिशील प्रक्रिया है. अतः भविष्य में इसका महत्व बढ़ना स्वाभाविक है। लोक प्रशासन और विकास प्रशासन दोनों ही राज्य का उत्पादन बढ़ाने की क्षमता और विभिन्न सेवाओं को जनता को प्रदान करते हुए उनकी निरन्तर बढ़ती हुई मांगों को पूर्ण करते हैं। संगठन और अभिकरणों में भी वृद्धि हो रही है। सार्वभौमिक आधुनिकीकरण की समस्याएँ समस्त देशों में प्रायः एक जैसी हैं। वास्तव में प्रशासनिक विकास प्रशासनिक व्यवस्था का ही विकास है, जो प्रत्येक प्रशासन के लिए आवश्यक है। एल. सलीम, फैजल एस. ए. ने अपनी पुस्तक ‘द इकलौजिकल डायमैन्शन्स ऑफ डेवलपमैण्ट एडमिनिस्ट्रेशन्स’ में उल्लेख किया है कि भविष्य में प्रशासन के समक्ष जो चुनौतियाँ आने वाली हैं उनसे प्रशासनिक विकास का भविष्य अधिक महत्वपूर्ण होने की सम्भावना है।