मन की शक्ति को समझे Understand the power of Mind
मन की शक्ति को समझे
Understand the power of Mind
मन की शक्ति को समझे Understand the power of Mind :- इन्सान अपने मन के शक्ति से बहुत कुछ कर सकता है यदि वह अपने मन के भावो को नियंत्रण कर ले तो क्यों की मन चंचल है मन की गति बहुत तेज होती है । मन मनुष्य के शरीर का अदृश्य अंग है जो दिखाई नहीं देता किंतु वह शरीर का सबसे शक्तिशाली हिस्सा है । इस शक्तिशाली मन पर काबू कर पाना हर व्यक्ति के बस की बात नहीं है पर यदि कोई इस पर करबू कर ले तो वह हर कार्य को आसानी से कर सकता है । मन के अंदर संपूर्ण दुनिया समाहित है । मन एक ऐसा पर्दा है जिस पर इच्छाएं प्रतीत होती है और यही इच्छा हमारे अन्दर आत्मप्रेरित का कार्य करती है जिस के कारण हम अपनी राहे चुनते है । हमारे शरीर में इंद्रियां जो भी कार्य करती हैं वह मन के सहयोग से करती है क्योंकि मन विचार से उत्पन्न होता है और विचार हमारी सोच से मन के बिना इंद्रिय ज्ञान प्राप्ति नहीं कर सकती है अतः मन को मध्यपूर्व अंग माना जाता है अक्सर कहा जाता है कि मन पर काबू पा लिया तो समझो जीवन को साध लिया । मन पर काबू पाना इतना आसान नहीं है पर मुश्किल भी नहीं पहले तो मन को खुला छोड़ दो उसके बाद देखो की मन किस – किस दिशा में भ्रमण करता है और उसके बाद उस पर धीरे – धीरे काबू करना होगा ।
समय के चक्र में, नया और पुराना कोई फर्क नहीं पड़ता
मन एक भाव है जो एक विचार से आता है । भारतीय शास्त्रों में मन के लिए मनस् शब्द का प्रयोग किया गया है जिसका अर्थ है वे साधन या उपकरण जो किसी घटना, विचार, या ज्ञान के लिए मुख्य रूप से जवाबदेह होते हैं । अर्थों में अंतर होते हुए भी चित्र ह्रदय स्वांता हृदय संस्कृत में मन के पर्यायवाची शब्द कहे गए हैं । मन का महत्व इसलिए अधिक हो जाता है क्योंकि यह ज्ञानेंद्रिय और आत्मा को परस्पर जोड़ने वाली कड़ी है । जिसकी सहायता से ज्ञान की प्राप्ति होती है और इसी ज्ञान का प्रयोग हम अपने दैनिक जीवन में करते है । मन अपने आप में निर्जीव तत्व है अर्थात मंजर तत्व है जिसमें रंग, स्पर्श ज्ञान, आनंद और पीड़ा की कोई अनुभूति नहीं होती है । प्रतीक आत्मा के साथ एक मन का जुड़ा हुआ होता है जो उसका आंतरिक सहायक बन जाता है । इसलिए आयुर्वेद में मन को सत्व भी कहा गया है । जिस प्रकार ज्ञानेंद्रियां ज्ञान प्राप्त करने का बाहरी साधन है उसी प्रकार मन ज्ञान प्राप्ति का आंतरिक साधन है ।
प्राचीन कहावत है मन के हारे हार है मन के जीते जीत पता जो व्यक्ति अपने मन में यह सोच लेता है कि वह आमुख काम नहीं कर सकता तो वह अपने अंदर नकारात्मक गुण पैदा कर लेता है और जब व्यक्ति या सोच लेता है कि वह अमुक काम कर सकता है तो वह अपने अंदर सकारात्मक गुण पैदा कर लेता है । कबीरदास के अनुसार मन मूर्ख है, लोभी है, चंचल है, और चोर है । यदि मन बेलगाम हो जाए तो हमें विनाश के मार्ग पर ले जाता है इस विनाश के रास्ते से बचने के लिए मन पर नियंत्रण रखना परम आवश्यक है । मन पर विचारों का प्रभाव होता है पता जैसे हमारे विचार होंगे वैसे ही हमारा मन भी होगा । मन भूमि में रोपे गए विचार नमक बीज की किस्में ही किसी के बुरे एवं अच्छे व्यक्तित्व का निर्धारण करती है । हमारे विचार ही हमारे मन को सही दिशा प्रदान करते है और हम अपने मन पर नियंत्रण कर पाते है ।
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